वॉयस ऑफ ए टू जेड न्यूज :- मुस्लिम समुदाय के सबसे बड़े और प्रभावशाली संगठन ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के अध्यक्ष मौलाना सैयद राबे हसनी नदवी का बृहस्पतिवार को निधन हो गया। मौलाना राबे हसनी नदवी कई दिनों से बीमार चल रहे थे। उन्हें बीते शुक्रवार को इलाज के लिये रायबरेली से लखनऊ लाया गया था। उन्हें डाक्टरों की निगरानी में नदवा में रखा गया था। करीब 94 वर्षीय बुजुर्ग आलिम ए दीन मौलाना राबे की शाम करीब चार बजे सांसें थम गईं। मौलाना के देहांत की खबर फैलते ही उनके चाहने वालों का हुजूम नदवा पहुंचने लगा। यहां पर लोगों ने छलकती आंखों से उन्हें पुरसा दिया। मौलाना सैयद राबे हसनी नदवी रमजान के महीने में रायबरेली स्थित अपने आवास पर ही रह कर इबादत करते थे। बीते सोमवार को उनको सीने जकड़न और निमोनिया की शिकायत के बाद बीते शुक्रवार को लखनऊ लाया गया। यहां पर नदवा स्थित मेहमानखाने में उन्हें चिकित्सकों की निगरानी रखा गया था। आज शाम को अचानक उनको सांस लेने में दिक्कत हुई और उनका इंतेकाल हो गया। उनके देहांत की खबर फैलते ही नदवा में लोगों की भीड़ जुटनी शुरू हो गई।
ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के कार्यकारिणी सदस्य मौलाना खालिद रशीद फरंगी महली ने बताया कि रात नदवा में उनके जनाजे की नमाज अदा कराने के बाद सुबह आठ बजे उनके जनाजे की नमाज फिर से रायबरेली में होगी। इसके बाद सुबह उन्हें सुपुर्द ए खाक किया जाएगा। मौलाना राबे को पुरसा देने के लिये मौलाना खाालिद रशीद फरंगी महली, शिया धर्मगुरू मौलाना सैफ अब्बास नकवी, अल्पसंख्यक कल्याण राज्यमंत्री दानिश आजाद अंसारी, उर्दू अकादमी के चेयरमैन कैफुल वरा, मौलाना अब्दुल अली फारूकी, इंट्रीग्रल विश्वविद्यालय के कुलपति वसीम अख्तर के अलावा शहर के तमाम उलमा, सामाजिक कार्यकर्ता और उनके चााहने वालों ने नदवा पहुंच कर खिराजे अकीदत पेश की।
ये जनाजा है अली का, शाहे खैबरगीर का, आज बाबा मर गया है शब्बर ओ शब्बीर का...। पैगंबर मोहम्मद साहब के दामाद हजरत अली की शहादत की याद में बृहस्पतिवार काे इमाम के ताबूत का जुलूस निकला। इमाम के ताबूत की जियारत कर हर आंख नम हो गई। फिजा में हर तरफ या अली मौला-हैदर मौला की सदाएं गूंज उठीं। ताबूत का जुलूस रुस्तम नगर स्थित रौजा-ए-शबीह नजफ से निकलकर कर्बला तालकटाेरा में जाकर संपन्न हुआ। यहां पर ताबूत काे कत्लगाह में अकीदत के साथ दफनाया गया। तााबूत के दफन होने के साथ ही हजरत अली की शहादत की याद में तीन दिन से चल रहा गम का सिलसिला भी खत्म हाे गया।
19वें रमजान को हजरत अली नमाज पढ़ने के दौरान सजदे में थे ताे इस्लाम के दुश्मनों ने उनके सिर पर जहर से बुझी तलवार से वार किया था। इससे वह जख्मी हो गये थे और 21वीं रमजान काे उनकी शहादत हाे गई थी। इसी दर्दनाक शहादत की याद में रौजा-ए-शबीह नजफ से सुबह ताबूत का जुलूस निकाला गया। इससे पहले मौलाना यासूब अब्बास ने सुबह की नमाज के बाद अलविदाई मजलिस काे खिताब किया। मजलिस के बाद महिलाओं ने ताबूत पुरुषों को सौंप दिया। ताबूत रौजा-ए-नजफ से अपनी मंजिल कर्बला तालकटोरा के लिए रवाना हुआ। जुलूस में शामिल अजादार ताबूत काे चूमने व कंधा देने के लिए बेकरार थे। जुलूस छोटे साहब, आलम रोड, कर्बला दियानुतददाैला, काजमैन हाेते हुए मंसूर नगर तिराहा पहुंचा। इसके बाद हैदरगंज पहुंचा। यहां परंपरा के मुताबिक एक कुएं के पास कुछ पलों के लिए ताबूत को रोककर एक काली चादर चढ़ाई और फिर कर्बला तालकटोरा ले जाकर दफन किया गया। लोगों ने दिनभर तालकटोरा पहुंच कर हजरत अली की तुरबत पर फातेहा पढ़ा।
शहर के तमाम इलाकों में मजलिस व मातम कर अजादारों ने हजरत अली को आंसुओं का नजराना पेश किया। महिलाओं ने घर-घर जाकर नौहाख्वानी की। इस दौरान 18 रमजान काे लोगाें ने अपने घरों में रखे ताबूतों काे भी उठाया, जिन्हें काजमैन में दफन किया गया। कर्बला दियानुदुद्दौला में बेटी के घर बाप का पुरसा शीर्षक से मजलिस हुई। मस्जिद मिर्जा जैना महमूद नगर मौलाना सैयद खुमैनी हैदर उतरौलवी ने मजलिस काे खिताब किया। मगरिब की नमाज के बाद शहर के इमामबाड़ों, कर्बलाओं व घरों में खड़ी मसूर की दाल चावल पर नज्र का आयोजन किया गया।